Wildlife
आज देश बहुत आगे बड़ गया है , लेकिन इंसानियत का आलम कही पीछे ही छूट गया है, खुद तो ज़रा सी दिक्कत पे इतना ज़ोर से चिल्लाते है, लेकिन इन मासूम जानवरो की आवाज़ दबाते जाते है, पढ़ाई लिखाई करना इतना ज़रूरी बताते है, पढ़ने लिखने के बाद इन जानवरो पे इतना ज़ुल्म कर डालते है। अपनो से हम तो इतना प्यार दिखाते है, लेकिन जानवरो के परिवार को पता नही क्यू नष्ट करते जाते है। चार दिन की चांदनी है सब को नयी खबर मिली है सब शोक जता रहे है, लेकिन उस हाथी की बेबसी सोचो जो अपने बच्चे को बचाने के लिये कुछ नही कर पाती है, इतना शोर मचाते है की ये सब गलत हो रहा है, लेकिन कुछ दिन बाद इन्ही बातो को भूलते जाते है, अपने फायदे के लिये नजाने कितनो की बली चड़ा देते हैं, पता नही मज़ाक मस्ती करने के लिये भी क्यू ये मासूम ही नज़र आते हैं। सरकार को हमेशा ही दोषी ठेहराते है, अपनी करतूतो पर हमेशा ही पर्दा डालना चाहते है। वादा करो अपने आप से कम से कम हम जानवरो को परेशान नही करेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए हम इस वादे को कभी नही तोड़ेगें।